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महिला दिवस: खेती से आर्थिक उन्नति की नई कहानी गढ़ रहीं ग्रामीण महिलाएं

 अगर आपके पास जज्बा और जुनून है तो खेती भी एक बेहतर व्यवसाय बन सकती है। जिले की महिला शक्ति ने इसे साबित भी किया है। बरेली की दर्जनों महिलाएं फसलों के जरिये अपनी तकदीर चमकाने में जुटी हैं। खेती को रोजगार का जरिया बना यह महिला किसान दूसरे किसानों के सामने भी मिसाल बनी हैं। फसलों की अनूठी खेती देखने के लिये दूसरे लोग भी इनके खेतों तक खिंचे चले आ रहे हैं। जिले की कई महिला किसानों ने तो खेती के जरिये सैकड़ों अन्य महिलाओं को रोजगार भी दिया है। इनमें से कई प्रदेश के फलक पर भी चमक बिखेर चुकी चुकी हैं। महिला दिवस के अवसर पर आज हम आपको ऐसी ही कुछ महिलाओं से रूबरू करा रहे हैं। पढ़िये अभिषेक मिश्रा की रिपोर्ट.....

सिंधौरा गांव की पूनम की प्रदेश में चमक

सिंधौरा गांव की रहने वाले युवा महिला किसान पूनम प्रदेश के फलक पर अपनी चमक बिखेर रहीं हैं। गन्ने की नर्सरी तैयार कर पूनम ने ना सिर्फ खुद को बल्कि गांव की 12 अन्य महिलाओं को भी दरवाजे पर रोजगार दिया है। अब तक पूनम का समूह 2 लाख से अधिक गन्ने की सीडलिंग तैयार कर चुका है। भोजीपुरा के एक कॉलेज से बीए की पढ़ाई कर रहीं 25 बर्ष की पूनम शुरुआत से ही खेती में अपने परिवार का हाथ बंटाती थी। खेती के पुराने तौर-तरीकों के चलते कमाई भी बहुत कम हुआ करती थी। पढ़ी-लिखी पूनम ने गन्ना विभाग से योजना की जानकारी ले गन्ने की पौध तैयार करने का काम शुरू किया। पौध के जरिये वह सालाना दो से तीन लाख रुपए की आय अर्जित कर रही हैं। पूनम के काम की तारीफ बीते दिनों गन्ना विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी भी कर चुके हैं।

मशरूम उगा रहीं जशोदा देवी

अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश करने वाली महिला किसानों के लिये नवाबगंज क्षेत्र के गांव ग्रेम की महिला किसान जशोदा देवी प्रेरणा हैं। बिना प्रशिक्षण और सरकारी अनुदान के जशोदा देवी ने मशरूम उगा नाम कमाया है। जशोदा देवी के खेत में तैयार मशरूम की काफी डिमांड है। उद्यान विभाग के अफसर भी उनकी मेहनत की तारीफ कर चुके हैं। जशोदा देवी खेती के जरिये कई अन्य महिलाओं को रोजगार भी दे रहीं हैं।

दूसरों की प्रेरणा बनी बृंदावती

खेती किसानी के पेशे से परिवार का स्वावलंबन बनने के साथ गुरसौली गांव की बृंदावती नाम भी कमा रहीं हैं। बृंदावती ने जिले में सबसे पहले गन्ने की नर्सरी तैयार करने का काम शुरू किया था। उनके समूह में कई अन्य महिलाएं भी शामिल हो चुकी हैं। जिले में कई अन्य महिलाओं ने बृंदावती के काम को देखकर ही गन्ने की नर्सरी तैयार करने का काम शुरू किया है।

उर्वरक वितरण में अकेली महिला डिंपल गौड़

फरीदपुर क्षेत्र की महिला डिंपल गौड़ पिछले 23 सालों से उर्वरक वितरण के क्षेत्र में काम कर रही हैं। उर्वरक वितरण का काम करने वाली वह जिले की अकेली महिला हैं। कृषि विभाग से लाइसेंस लेकर भुता क्षेत्र में उर्वरक वितरण केंद्र संचालित करने वाली डिंपल ने बताया शुरुआत में इस पेशे में काफी दिक्कतें आई। इसके बावजूद उनका जज्बा कम नहीं हुआ। कृषि विभाग की ओर से भी उनके काम को देखते हुए काफी सहयोग दिया गया। उन्होंने बताया अक्सर यूरिया समेत अन्य उर्वरकों की कमी के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सरकारी सब्सिडी वाले उर्वरक किसानों के नाम पर खरीदने वाले बिचौलियों से भी रोज जूझना पड़ता है। इसके बावजूद कभी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।


महिला दिवस: खेती से आर्थिक उन्नति की नई कहानी गढ़ रहीं ग्रामीण महिलाएं महिला दिवस: खेती से आर्थिक उन्नति की नई कहानी गढ़ रहीं ग्रामीण महिलाएं Reviewed by informationcent.com on March 23, 2021 Rating: 5

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